प्राणायम करने हेतु नियमः
प्राणायाम सदैव पवित्र एवं निर्मल स्थान पर करना चाहिये। संभव हो तो जलाषय के पास बैठकर अभ्यास करें। प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और नाक, आंख, मुंह आदि अवयवों पर कोई तनाव न लाएं।
प्राणायाम नियमतः किसी भी आसन जैसे कम्बल, चटाई आदि जो विद्युत कुचालक हो उस पर बैठकर अभ्यास करें।
प्राणायाम सूर्योदय से पहले शौचादि से निवृत होकर ही करें। सभी प्राणायाम मध्यम गति से ध्यान मुद्रा में बैठकर करेें।
गर्भवती महिलाएँ कपालभांति और बाह्य प्राणायाम न करें और मासिक धर्म में महिलाएं बाह्य प्राणायाम न करें।
ओम भूर्भवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।
उर्वारूकमिव बन्ध्नान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
ओम सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावध्ीतमस्तु। मा विद्विषावहै।।
ओम असतो मा सद् गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्माऽमृतं गमय।
ओम सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कष्चिद् दुःखभाग भवेत
ओम शान्तिः शान्तिः शान्तिः।
अर्थ
हे परम् पिता परमेष्वर, आप हमारे बुद्धि को सत्य के मा्रर्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। हे त्रिदेव (ब्रह्म, विष्णु, महेष) आपकी ओजस्वी संजीवनी सुगन्ध् जो तीनों लोकों को शक्ति प्रदान करती है। ऐश्वर्य की वर्धक उस बीज शक्ति से मुझे संलग्न रखकर मृत्यु से मुक्त कर अमृतत्व को प्रदान करें। हे ईष्वर, हम एक साथ श्रम करें, हमारे आपस में भाईचारा रहे, श्रम सत्कर्म में लगे हमारे आपस में बैर भावना कभी निर्माण न हो। हे ईष्वर हमें असत्य से सत्य की ओर, अंध्कार से प्रकाष ओर, मृत्यु से अमृतता की ओर ले चलो हे ईष्वर सभी सुखी रहे, सभी निरोगी रहे, सभी को अच्छी दृष्टि मिले, किसी को यातना न हो।
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