प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की परकाष्ठा है।
-स्वामी रामदेव
माता-पिता का बच्चों के प्रति, आचार्य का शिष्यों के प्रति, राष्ट्रभक्त का मातृभूमि के प्रति ही सच्चा प्रेम है।
-स्वामी रामदेव
साधूनां दर्शनं पुण्यं, “तिर्थभूता हि साधव:” देह के भीतर देही को देखो?
-स्वामी रामदेव
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