DropDown

Drop Down MenusCSS Drop Down MenuPure CSS Dropdown Menu

Labels

Saturday, August 15, 2015

विशिष्ट संबोधन - योग का स्वरूप

योगष्चित्तवृत्तिनिरोधः, तदा द्रष्टुः स्वरुपेऽवस्थानम्,
समत्वं योग उच्यतेयोगः कर्मसु कौषलम।
 - परम पूज्य स्वामी रामदेव जी 

क्षिप्त एवं विक्षिप्त अवस्था से बाहर निकलकर एकाग्रचित्त व निरुद्ध चित्त होकर अपने मूल स्वरूप में जीना योग है। समत्व में रहते हुए पूर्ण कुषलता के साथ अपने कर्म या कर्त्तव्य का कृतज्ञता पूर्वक निर्वहन करना योग है। ज्ञान, कर्म एवं उपासना यह योग की त्रिवेणी है। योग के मुख्य रूप से दो पहलु हैं। एक व्यवहारिक योग दूसरा है-आध्यात्मिक योग।

योग एक वैज्ञानिक, सार्वभौमिक व पंथ-निरपेक्ष, प्राकृतिक जीवन पद्धति है। इस सहज] सरल जीवन पद्धति को अपनाकर हम निरोगी, निव्यसनी, स्वस्थ्य, समृद्ध एवं शान्तिमय जीवन को ही जीते हैं तथा अपने भीतर सुप्त असीम ज्ञान एवं सामर्थ्य को विकसित करते हैं, यह योग का व्यहारिक पहलु है।


व्यायाम, यम-नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि रूप आष्टाँग योग के नित्यप्रति अभ्यास से जीवन का पूर्ण विकास करके शील, समाधि एवं प्रज्ञा को प्राप्त करना यह योग का गन्तव्य है। विष्व के किसी भी मजहब में योग का विरोध नहीं है। अपितु एक स्वस्थ व आध्यत्मिक जीवन जीेने का ही सभी धर्मो का उपदेष है। वसुधैव कुटुम्बकम्, सह अस्तित्व, समष्टि के साथ एकत्व तथा अस्तित्व के प्रति पूर्णकृतज्ञयता के साथ पूर्ण पुरूषार्थ करते हुए अभ्युदय व निःश्रेयस को सिद्ध करना या निष्काम, अकाम, अलोभ, आप्ताकाम व आत्मकाम होकर दिव्य जीना यही योग है। यह योग का आध्यात्मिक पहलु है। सभी धर्मो व पंथो के मूल आध्यात्मिक शाष्वत सत्य है। सबके सम्पूर्ण स्वास्थ्य समग्र समृद्धि एवं विष्व-षान्ति का एकमात्र निर्विवादित मार्ग योग है। योग से ही यह सृष्टि दिव्य व भव्य होगी तथा व्यष्टि व समष्टि में भगवत्ता का अवतरण होगा।


आइए! इस प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हम सब योगमय जीवन जीने का संकल्प लें और पूरे विष्व को योगमय बनाने की दिषा में आगे बढ़े। योग को वैष्विक स्तर पर सर्वोच्च गौरव दिलाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को हृदय से धन्यवाद, पूरे भारत व विष्व की ओर से उनको अनन्य कृतज्ञता।


21वीं सदी विज्ञान एवं आध्यात्म की सदी होगी इसमें प्रोस्पेरिटी “ Prosperity” एवं स्प्रिच्युलिटी “Spirituality” साथ साथ चलेगी और इस समृद्धि एवं शान्ति का आधारभूत तत्व योग होगा।

No comments:

Post a Comment