विचारों का ही परिणाम है-हमारा सम्पूर्ण जीवन। विचार ही बीज है, जीवनरुपी इस व्रक्ष का।
-स्वामी रामदेव
विचारशीलता ही मनुष्यता, और विचारहीनता ही पशुता है।
-स्वामी रामदेव
पवित्र विचार प्रवाह ही मधुर व प्रभावशाली वाणी का मूल स्त्रोत है।
-स्वामी रामदेव
अपवित्र विचारों से एक व्यक्ति को चरित्रहीन बनाया जा सकता है, तो शुध्द सात्विक एवं पवित्र विचारों से उसे संस्कारवान भी बनाया जा सकता है।
-स्वामी रामदेव
हमारे सुख-दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या परिस्थितियाँ नहीं अपितु हमारे अच्छे या बूरे विचार होते हैं।
-स्वामी रामदेव
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