नवभारतटाइम्स.कॉम| Aug 15, 2015, 11.58 AM IST
'उज्जायी' शब्द का अर्थ है विजयी होना या जीतने वाला। इस प्राणायाम के अभ्यास से श्वसन वायु को जीता जाता है। यह कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में लाभकारी होता है। इस प्राणायाम का अभ्यास स्त्री-पुरुष दोनों के लिए लाभकारी माना गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर ही करें। इसका अभ्यास- खड़े होकर, बैठकर या लेटकर तीनों तरह से किया जा सकता है।
विधि:
इसके लिए अपने ध्यान को सांसों पर लाएं और सबसे पहले सांस को अधिक से अधिक बाहर निकाल दें। अब गले की मांशपेशियों को टाइट कर लें और धीरे-धीरे नाक से सांस भरना शुरू करें। सांस भरते समय गले से सांस के घर्षण की आवाज करें। सांस भरते जाएं, आवाज होती जाएं। इस प्रकार आवाज के साथ पूरी सांस भर लें। अब सांस भरने के बाद कुछ सेकेंड सांस अंदर रोकें। इसके बाद सीधे हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाकर नासिका पर ले जाएं और दायीं नासारंध्र को बंद कर बाई नासारंध्र से धीरे-धीरे सांस बाहर निकाल दें। इस प्रकार 10-12 बार इसका अभ्यास करें।
सावधानियां:
ज्यादा जोर लगाकर आवाज़ न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी और आंखों से पानी आने लगेगा।
लाभ:
- उज्जायी प्राणायाम के अभ्यास से छाती से लेकर मस्तिष्क तक कंपन होने लगती है, जिससे यहां रहने वाली उदान वायु को बल मिलता है और यहां स्थित समस्त अंग स्वस्थ होने लगते हैं।
- हृदय में होने वाली कम्पन से हृदय में आयी ब्लॉकेज दूर होने लगती है।
- यह प्राणायाम अस्थमा, सांस फूलना व फेफड़ों की कमज़ोरी में बड़ा लाभकारी है।
- थायरॉईड ग्रंथि के रोग को भी यह दूर करता है और उसको स्वस्थ बनाए रखता है।
- साथ ही गले में कफ का जमाव व सोते समय खर्राटे की समस्या को दूर करने वाला योग है।
- इसके निरंतर अभ्यास से वाणी में मधुरता आती है।
Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/solutions/-/ujjayi-pranayam-helpful-in-breathing-problems/articleshow/48492836.cms
'उज्जायी' शब्द का अर्थ है विजयी होना या जीतने वाला। इस प्राणायाम के अभ्यास से श्वसन वायु को जीता जाता है। यह कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में लाभकारी होता है। इस प्राणायाम का अभ्यास स्त्री-पुरुष दोनों के लिए लाभकारी माना गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर ही करें। इसका अभ्यास- खड़े होकर, बैठकर या लेटकर तीनों तरह से किया जा सकता है।
विधि:
इसके लिए अपने ध्यान को सांसों पर लाएं और सबसे पहले सांस को अधिक से अधिक बाहर निकाल दें। अब गले की मांशपेशियों को टाइट कर लें और धीरे-धीरे नाक से सांस भरना शुरू करें। सांस भरते समय गले से सांस के घर्षण की आवाज करें। सांस भरते जाएं, आवाज होती जाएं। इस प्रकार आवाज के साथ पूरी सांस भर लें। अब सांस भरने के बाद कुछ सेकेंड सांस अंदर रोकें। इसके बाद सीधे हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाकर नासिका पर ले जाएं और दायीं नासारंध्र को बंद कर बाई नासारंध्र से धीरे-धीरे सांस बाहर निकाल दें। इस प्रकार 10-12 बार इसका अभ्यास करें।
सावधानियां:
ज्यादा जोर लगाकर आवाज़ न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी और आंखों से पानी आने लगेगा।
लाभ:
- उज्जायी प्राणायाम के अभ्यास से छाती से लेकर मस्तिष्क तक कंपन होने लगती है, जिससे यहां रहने वाली उदान वायु को बल मिलता है और यहां स्थित समस्त अंग स्वस्थ होने लगते हैं।
- हृदय में होने वाली कम्पन से हृदय में आयी ब्लॉकेज दूर होने लगती है।
- यह प्राणायाम अस्थमा, सांस फूलना व फेफड़ों की कमज़ोरी में बड़ा लाभकारी है।
- थायरॉईड ग्रंथि के रोग को भी यह दूर करता है और उसको स्वस्थ बनाए रखता है।
- साथ ही गले में कफ का जमाव व सोते समय खर्राटे की समस्या को दूर करने वाला योग है।
- इसके निरंतर अभ्यास से वाणी में मधुरता आती है।
Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/solutions/-/ujjayi-pranayam-helpful-in-breathing-problems/articleshow/48492836.cms
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