1. मूलाधार चक्र: मूलेन्द्रियों के पास रीढ़ की हड्डी का मुड़ा हुआ सबसे नीचे का भाग जो गुदा के पास होता है ‘मूलाधार’ कहलाता है। इसे मूलबन्ध लगाकर सक्रिय किया जाता है।
2. स्वाधिष्ठान चक्र: मूलाधार चक्र से चार अंगुल ऊपर यह चक्र होता है।
3. मणिपुर चक्र: यह नाभि के पीछे मेरुदण्ड में स्थित होता है। इस चक्र को उड्डायन बन्ध लगाकर सक्रिय करते हैं।
4. अनाहत् चक्र: शरीर के मध्यभाग में दोनों स्तनों के बीच गड्ढा सा होता है, इसे अनाहत चक्र कहते हैं।
5. हृदय चक्र: हृदय के मध्य स्थित होता है।
6. विषुद्धि चक्र: कण्ठ कूप के पीछे जो चक्र होता है इसे विषुद्धि चक्र कहते हैं। इस चक्र को जालन्धर बंध लगाकर सक्रिय करते हैं।
7. आज्ञा चक्र: ललाट पर दोनों भोहों के मध्य जहाँ टीका लगाते हैं, आज्ञा चक्र कहते हैं।
8. सहस्त्राधार चक्र: सिर पर चोटी के नीचे यह चक्र होता है। जो व्यक्ति चोटी रखते हैं वे चोटी को थोड़ा खींचकर गाँठ लगाते हैं जिससे यह चक्र सक्रिय होता है।
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